मेरी कहानियां
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एक लाख का हक़दार (कविता)
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आतंवादी ,
नेता के पास जाकर
एकदिन
बेकार एक बोला
हुजुर मैं मरना चाहता हूँ
क्यों? नेताने प्रश्न किया
बेकार बोला
चाव से पढाई की
आया हमेशा अव्वल
जब आयी नौकरी की बारी
प्रमाणपत्र काम न आया
बीमार पड़ने लगा प्रमाण पत्र
इलाज कराता गया
पर हुवा न कोई सुधार
उम्र अब है ढलने को
परिवार में हूँ एक बोझ
हुजुर अब आप ही
मेरे परिवार को बचा सकते हो
मार दो मुझे ,
कल अख़बार की
हेड लाईन में होगी
आतंवादी का एक और शिकार
एक लाख रूपये रिलीव का हक़दार
होगा मेरा परिवार .l
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