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सबसे पहले मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने मुझे नया जीवन दिया l साथ में आप सभी ब्लोगर्स का जिन्होंने समय निकल कर मेरी आप बीती को पढ़ा और प्रतिक्रिया व्यक्त ki, धन्यवाद् कहना चाहूंगी.
मेरी इस आप बीती को लिखने के पीछे मेरे उन साथियों की पीड़ा, दर्द और भयग्रस्त अवस्था थी जिसे मैं ने स्वयं भोगा है मेरे पति भी चाहते थे कि मै इस बीमारी से जुडी जो वास्तविकता है उसे सामने लाऊं अतः अपने जीवन में बीती सच्चाई के आधार पर मै ने इसे कहानी का रूप दिया है फिर भी कही कोई लेखन में कमी रह गयी हो तो कृपया मेरा मार्ग दर्शन करे ताकि मै अपनी लेखनी में सुधर ला सकु.
मै ईश्वर का सदैव शुक्रगुजार रहूंगी जिसने मुझे इस पीड़ा से उभरकर सामान्य जीवन जीने का साहस प्रदान किया साथ में अपनी देश की सेना को भी सेल्यूट करती हूँ जिसकी मदद से मेरा इलाज संभव हो सका वर्ना इस बीमारी से ज्यादातर रोगी तो इसलिए नहीं जीत पाते क्योंकि उन्हें समय पर उचित इलाज नही मिल पाता, परन्तु मै खुशनसीब हूँ कि मेरे पति भारतीय सेना का हिस्सा हैं जिसकी वजह से मेरा इलाज आर्मी के कमांड हास्पिटल पूना और कलकत्ता में संभव हो सका. मै वहा के सभी डाक्टर, सिस्टर और सभी स्टाफ का तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ की जिस समर्पण के साथ ये अपना फर्ज निभाते है उनके सामने मै नतमस्तक हूँ रोगी की हर एक जरुरत चाहे वो दवा हो या खून की आवश्यकता सब कुछ समय पर मिल जाता है और सब से बड़ी जरुरत जो की मानसिक सहारे की है वो मेरे पति के साथ साथ आर्मी के तमाम डाक्टर सिस्टर का मधुर व्यव्हार के साथ मिला जिसने मुझे पुनः खड़े होने में मदद की, मै एक बार फिर अपने भारतीय सेना को सेल्यूट करती हूँ. और अंत में उन सभी केंसर पीड़ित परिवार के लिए प्रार्थना करती हूँ की भगवान उन्हें मेरे जैसा खुशनसीब बनाये और जल्द से जल्द स्वस्थ जीवन प्रदान करे.
इस पोस्ट के साथ आप सभी को रक्षा बंधन कि हार्दिक शुभकामनाये.
धन्यवाद
रीता सिंह ‘सर्जना’
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