तुम्हे कैसे प्यार करू समझा दो ……(कविता) – valentine contest
यह कविता मेरे पतिदेव ने १३ साल पहले प्रेषित किया था मुझे l प्रेम दिवस के उपलक्ष्य में आज मेरी यह व्यक्तिगत कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने जा रही हूँ :-
*************************
तुम्हे कैसे प्यार करू समझा दो
***************************************************
गर हो सके तो ये राज बता दो
तुम्हे कैसे प्यार करू समझा दो
ये दूरिया दिलो की सही नहीं जाती
दर्दे दिल गैरों से कही नहीं जाती
करीब तुम्हारे आने का रास्ता बता तो
तुम्हे कैसे प्यार करू समझा दो
क्यों पास मेरे तुम इतने आये
क्यों दिल के सोये अरमान जग्गाये
दिल के जलते अरमानों को जुल्फों की हवा दो
तुम्हे कैसे प्यार करू समझा दो
वीराने चमन में तुम बहार बनके आये
फुल मोहब्बत के इस चमन में मुस्कुराए
जिंदगी मेरी अपने तबस्सुम से सजा दो
तुम्हे कैसे प्यार करू ये समझा दो
न जाना दूर कही अब इस दिल के साए से
न लगाना दिल कही अब किसी पराये से
आके मेरी बाहों में इस जहां को भुला दो
तुम्हे कैसे प्यार करू समझा दो l
Read Comments