असम का उमंग और उल्लास से भरा रंगाली बिहु उत्सव आरम्भ
असम का जातीय उत्सव बिहु साल में तीन बार मनाया जाता हैं l माघ बिहु (मध्य जनवरी ),रंगाली बिहु (मध्य अप्रैल ) और काति बिहु (मध्य अक्टूबर ) l आज से असम में रंगाली बिहु प्रारंभ हुआ हैं l हर तरफ बिहुरे कथा अर्थात बिहु की ही बाते हो रही हैं l चारो और हर्षोल्लास का माहौल l यहाँ तक कि प्रकृति ने भी वसंत के आगमन पर अपना सौन्दर्य बिखेरकर सबके मनमे खुशिया बिखेर दिया हैं l पेड़ पर नए-नए पत्ते उग आये है ,कोयल कूकने लगी हैं जैसे वह निमंत्रण दे रही हो उदासी छोड़ो रंगाली बिहू आ गया हैं l रंगाली बिहू याणे खुशियों का त्यौहार l जहाँ हर वर्ग के लोग मिलकर यह त्यौहार मनाते हैं l रंगाली बिहू बैशाख महीने की पहली तारीख से शुरू होती हैं l जो सात दिन तक रहता हैं l पहला दिन गोरु बिहू याणी गाय बिहू के रूप में मानते हैं l इस दिन गाय भैंसों को सरसों का तेल लगाकर दिघलती के डाल और पत्तो से मार-मार कर नदी ,झील तथा तालाब में ले जाकर लौकी बैगन हल्दी आदि से मारते हुए नहलाने ले जाते समय ये गाने गाते हैं –
दिघ्लातिर डीघल पात
गोरु कोबाउ जात-जात
मारे हरु,बापरे हरु
तोयो हबी बर गरु l गाय -भैसों को नहलाने के पच्छात उन्हें लौकी,बैंगन खिलाया जाता हैं और पथार याणी खेतो पर छोड़ दिया जाता हैं l शाम को गोशाले को साफ़ करके गाय-भैसे के लिए नए पगहा बाँध कर रखते हैं l और धुप-धुना जलाते हैं l यह पगहा घास और पत्तो से पारंपरिक रूप से बनाया जाता हैं l
दुसरे दिन से मानुह बिहू यानी आदमी का बिहू शुरू होता हैं l परंपरा के अनुसार इस दिन लोगों में बिहुवान लेने की परंपरा हैं l लोग नहा-धोकर गोसाईं घर (मंदिर) में दिया जलाते हैं l छोटे बड़ों का पैर छुकर आशीर्वाद लेते हैं l फिर चिवड़ा ,दही,गुड,लड्डू,पिठा इत्यादि खाने खिलाने का प्रचलन हैं l रंगाली बिहू आते ही नव युवक -युवतियों की टोली बिहू नृत्य करते दिखाई देती हैं ,यह बिहू इतने उल्लास और उत्साह वर्धक होता हैं कि गाँव हो या शहर बच्चे हो या बूढ़े सभी आनंद का उपभोग करते हैं l फिजाओं में आनंद और खुशियों का लहर वातावरण में फैलने लग जाती हैं l इस बिहू में अपने प्रियजनों को फुलं गमछा प्रदान करने की भी रिवाज हैं नव युवक एक महीने पहले से ही ढोल,पेपा,गगना (बिहू के वाद्ध यन्त्र) आदि कि तैयारी करते हैं और नव युवतियां उनकी ताल और सुर पर थिरकती हुई बिहू नृत्य करती हैं : –
अतिकै सेनेहर मुगारे महुरा
तातकै सेनेहर माकू
तातकै सेनेहर बहागर बिहुटी
नेपाती केनेकै थाकू……
बिहू में रंगारंग कार्यक्रम होता हैं ग्रामीण क्षेत्र की बिहू तो देखते ही बनता हैं l लोग एक दुसरे को बधाईया देते हैं l इस बिहू से ही असमिया नव वर्ष की भी शुरुआत होती हैं l इस अवसर पर लोग नए कपडे पहनते हैं l इस बिहू के दौरान राज्य में सात दिनों तक बिहू मंच बनाकर बिहू गीत ,नृत्य का आयोजन करते हैं l इस मौके पर बिहू कुवरी की प्रतियोगिता राज्य के सभी जगह पर होती हैं l इस प्रकार हंसी-ख़ुशी पूर्वक यह त्यौहार का समापन होता हैं l
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सभी ब्लोग्गर मित्रो को बिहू और बैशाखी के लिए मेरी तरफ से हार्दिक शुभ कामनाये ………
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