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जे-जे में बिताये खट्टे-मीठे पलों की एक झलक (फीडबैक)

मेरी कहानियां
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जे-जे में बिताये खट्टे-मीठे पलों की एक झलक (फीडबैक)

जय माता दी ,मित्रो ,
मैंने इस मंच पर समय -समय पर बहुत बार लिखा हैं की इस मंच ने मुझे लिखने की प्रेरणा जगाई हैं ,गति दी हैं l गैर हिंदी भाषी होने के कारण अनेक समय अच्छे से प्रस्तुत नहीं कर पाते थे l परन्तु सभी ब्लोगर मित्रों के हौसला अफजाई ने लिखने को प्रेरित किया ,सिखा ,सुधारा, जाना .l .मैंने कभी जे जे से शिकायत नहीं की l ब्लॉग फीचर को लेकर या कमेन्ट या फिर मोस्ट वियुड ब्लोगर को लेकर क्योंकि मुझे इन सब चीजो ने कभी लिखने में वाधा नहीं पहुंचाई l मुझे जब भी जो भी लिखना था मेरे मन की बात लिख दिया जिससे मुझे आत्म संतुष्टि मिलती l और जो भी ब्लॉग अच्छा लगा पढ़ा कमेन्ट दिया l करीब ढाई साल होने को हैं मैं इस मंच से जुडी हूँ l इससे मुझे ऊर्जा मिली हैं ,लेखन में सक्रियता बढ़ी सबसे बड़ी बात मै खुश रहने लगी l मुझे आज भी याद हैं मेरे पतिदेव ने ही इस ब्लॉग से मेरा परिचय करवाया था l जब मैंने अपना पहला ब्लॉग पोस्ट किया था मुझे बहुत ख़ुशी हुई ठीक वैसे जैसे कहानी के किरदारों को जन्म देना और निभाने जैसा परन्तु मुझे एक भी कमेन्ट नहीं मिली l मैं निराश नहीं हुई l कुछ दिन बाद और एक ब्लॉग पोस्ट किया तब पहली बार मुझे अजय जी की एक प्रतिक्रिया मिली ,मैंने बहुत ख़ुशी महसूस की कि मेरा भी ब्लॉग पढ़ा गया हैं ……..हौसला बढ़ी …फिर मैं रुकी नहीं ….वह घडी मेरे लिए बहुत मूल्यवान था क्योंकि मैंने उसवक्त जीवन को बहुत करीब से
देखा था l तन से कमजोर परन्तु मन से दृढ थी l जी हाँ मित्रो (नए ब्लोगर ) डेढ़ साल की कठिन इलाज के बाद मैं घर लौट आई थी l मुझे कैंसर जो हुआ था (अब यह बात पुराणी हो चुकी हैं , मैं बिलकुल स्वस्थ हूँ l ) मुझे खुश रहने के लिए एक दिशा मिल गई थी l अपनी रुचिकर शौक ने आगे बहुत कुछ सीखने का मौका दिया l सीखने की अदम्य ललक ने ही शायद आज मुझे हिंदुस्तान के तमाम पत्र-पत्रिकाओ से जोड़ा हैं l मैं जेजे को धन्यवाद् देना चाहती हूँ की इस मंच से जुड़ने के कारण आज तमाम लोगों से जुड़ पाई जो अच्छे दिल के ही नहीं अच्छा लिखते भी हैं l शुरुआती दिनों में आदरणीय खुराना अंकल जी , आदरणीय श्री शाहीजी जिन्होंने हरदम प्रोत्साहित किया ,श्री रमेश जी , श्री वाजपेयी सर जी , चातक जी , पियूष जी , सिद्दीकी जी ,पारुल जी, रौशनी जी ,भाई आकाश ,दिव्या जी ,सचिन जी , मिहिर जी ,अबोध जी ,रशीद जी,के . .एम्.मिश्र जी,अजय जी , मुनीश जी , संदीप जी , भाई बैजनाथ एक और ख़ास नाम अदिति जी जिनकी लेखनी से मैं कायल थी पर मंच से वह एकदम से गायब हो गई क्या कारण था समझ नहीं पाई खैर और भी कई नाम हैं इसवक्त मुझे याद नहीं आ रहा हैं ………..कृपया मित्रो इसे अन्यथा न ले l एक नाम याद आ रहा हैं ………….व्यंगकार राजकमल जी जो अपने धासु-धासु व्यंग से उस वक्त मंच पर समां बाँधने का बीड़ा उठाते थे और सबको लोट-पोट कर देते थे l परन्तु धीरे -धीरे वह भी नदारत सा रहने लगे l पर अब फिर कभी कभार दिखने लगे हैं l ये धासु-धासु शब्द उनदिनों काफी चर्चे में हुआ करता था जो आज भी जेहन में यह शब्द याद आता हैं l वक्त ने करवट बदला पुराने चेहरे धीरे -धीरे गायब होने लगे और नये चेहरों से मंच सुशोभित होने लगे , आदरणीय अलका जी ,(साहित्य के प्रति समर्प्रित महिला ), निशा जी मेरा शुभचिंतक (इन्होने मुझे बहुत स्नेह दिया हैं ) ,विनीता जी (साहित्यिक ज्ञान से पूर्ण महिला ,जिनकी मैं बहुत इज्जत करती हूँ ), ,फिर अच्छी-अच्छी रचनाकार …….साधना जी ,मीनू जी , सिंसेरा जी, तिम्सी जी , एम्.प्रवीन जी आदि आई जो अच्छा ही नहीं लिखती बल्कि उनके अच्छे विचारों से भी हमें अवगत होने का मौका मिला परन्तु दुर्भाग्य से चाहकर भी नए लोगो तक अपना कमेन्ट पहुंचा नहीं पाती क्योंकि कमेन्ट को लग किया रहता हैं ,अत ,इस लेख के जरिये मैं जे.जे.मंच से प्रार्थना करती हूँ की मेरी इस तकनिकी गड़बड़ि को दूर करने में मेरी मदद करे l ताकि मैं भी प्रतिक्रिया के रूप में अपनी कुछ बाते रख सकू ………..इस सफ़र में कई ऐसे रिश्ते बने जिनमे एक भाई विशाल के साथ बना , इत्तफाक से हम दोनों का जन्म दिन एक ही दिन में हैं , बहुत ही प्यारा और अच्छा दिलवाला ,क्रिश्नाश्री जी ,अशोक जी , डॉ.सूर्यबाली ‘सूर्य ‘ (हंसमुख व्यक्तित्व के धनी ) संतोष जी , संजय जी ,भ्रमर जी और आदरणीय श्री कुशवाहा जी जो सबको समेटकर चलने पर विशवास करते हैं , इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं l आपके विचारों से मैं सहमत हूँ l
इस मंच के जरिये मैं एक बात स्पस्ट करना चाहती हूँ की हम अपने मन के विचारों को शब्दों में ढाल कर प्रस्तुत करते हैं ,जो किसी को अच्छा लगता हैं तो किसी को नहीं भी l क्योंकि सबकी अपनी-अपनी सोच होती हैं ,हम किसी के ऊपर अपना विचार लाद नहीं सकते , पर हाँ अपनी समझ से जो अच्छी चीजे हैं उसे चुनकर अपनी झोली भर सकते हैं जिससे न केवल अपना वल्कि लोगों का भी फायदा होता हैं l अत : मंच ने जो स्वतंत्रता हमें दिया हैं उस की गरिमा बनाए रखना भी हम सबका कर्तव्य हैं l ………..हर अनुभव से इंसान को सिख मिलता हैं ,कोई इसे समझता हैं कोई समझ नहीं पाते ……………खैर .इन आँखों ने भी इस मंच के अनेक रचनाकारों के भावनाओ को लहूलुहान होते देखा हैं ………….खट्टे पलों से भी गुजरा मंच ,आपस में बर्तनों की तरह भावनाए टकराते देखा ,आदरणीय श्री शाही जी जैसे सशक्त ब्लोगर का मंच छोड़ कर चले जाना मैं समझती हूँ बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था l क्योंकि उनकी प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन मेरे लिए तो बहुत ही मायने रखता था l मुझे व्यक्तिगत रूप से कभी भी जेजे से शिकायत नहीं रही मगर हां इन आँखों ने बहुत कुछ देखा हैं जैसे मोस्ट वियुड ब्लोगर का चुनाव मेरी समझ से तो बाहर हैं l इस मंच पर अच्छा लिखने वाले रचनाकार हैं जिनकी रचनाये देश के लीडिंग पात्र-पत्रिकाओं में छपते रहता हैं l जिन्हें मैं व्यक्तिरूप से जानती भी हूँ l बहरहाल मैं जेजे मंच से एक निवेदन करना चाहती हूँ कि कृपया करके उन ब्लोगरों के रचनाओ पर भी ध्यान दिया जाए जो वाकेय में अच्छा लिखते हैंl अंत में जेजे के  साथ -साथ आप सभी ब्लोगर मित्रों का बहुत-बहुत आभार  जिन्होंने मेरा सदैव हौसला बढाया मार्गदर्शन किया ………….l ईश्वर आप सभी को सदैव कुशल रखे ………….इसी कामना सहित l


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