मेरी कहानियां
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जहाँ का तहां विद्यमान हैं
जब जीवन था
तब उसे फुर्सत थी कहाँ ?
न संतुष्टि थी
न खुशिया
नित नए खोज में उलझे
वह प्राणी
भाग रहा था
परन्तु आज सबकुछ
ख़त्म हो गया
खाली हाथ आया था
खाली हाथ ही चला गया l
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