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३६५ दिन के कड़ी मेहनत के बाद एक दिन यानी १ मई को में डे अर्थात “मजदुर दिवस” का दिन आता हैं l इस दिन बाकायदा सरकारी बंद भी होता हैं l नौकरी पेशा लोगो को इस एक दिन छुट्टी मिलने की ख़ुशी ज्यादा रहती हैं न की मजदुर दिवस के लिए …………..आज हमारी भी छुट्टी थी l हमने भी वही सोचा चलो अच्छा हैं कुछ लिख -पढ़ लेंगे वर्ना पुरे-के पुरे समय भागमभाग में बीत जाता हैं समय l परन्तु एक प्रश्न ने मुझे पुरे दिन कचोटता रहा – “ये क्या होता हैं मजदुर दिवस ?” दिन मजदूरी करके जीवन निर्वाह करने वाले एक मजदुर की बीबी ने मुझसे सवाल किया था l वर्षो पहले मजदुर दिवस की स्थापना हुई परन्तु सोचने वाली बात तो यह हैं की क्या १ दिन की छुट्टी आज भी कई परिवार को भूखे सोना पड़ता हैं यदि एक दिन भी काम पर वो नहीं गया तो परिवार भूखे रहेंगे क्योंकि दिन मजदूरी से जो रूपये आएगा उसीसे उसका गुजरा होगा l हम छुट्टी मनाते, पंखे के नीचे बैठ कर लजीज व्यंजन खाते खिलाते और उधर उसी क्षण एक मजदुर जीवन निर्वाह का साधन ढूंढ़त़ा फिरता हैं l और उसे तो मजदुर दिवस का मतलब तक नहीं पता , मजदुर की बीबी कह रही थी ……….क्या का बंद ?ये कमाने नहीं जायेंगे तो हम क्या खायेंगे हमें बंद नहीं चाहिए ,दिन भर की कमी से जो मिलता हैं उसी से सामान खरीद कर वह लौटता हैं l छोटे-छोटे बच्चे दिल में सवाल लिए टुकुर-टुकुर दरवाजे की तरफ आस लगाये रहते हैं पता नहीं बाबा आज उनके लिए खाना ला पायेगा या नहीं ……………………….?
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