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माँ का स्थान सबसे ऊँचा (मदर डे पर विशेष )

मेरी कहानियां
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मेरे लिए “माँ” केवल एक शब्द ही नहीं बल्कि वह मंदिर का नाम हैं जहाँ शांति ही शान्ति हैं ………..सच पूछिए तो मैंने “माँ’ को बहुत करीब से तब जाना और समझा जब मैं स्वयं पहली बार माँ बनी ,एक प्यारी सी बिटिया की माँ l नजाने कितनी राते जागकर ,उन्होंने मेरी हरेक जरूरतों को ममता के आंचल से सींचा था ,राह दिखाई ,बड़ा किया l पल-पल बड़ी होती बच्ची में उमड़ता प्यार वात्सल्य ,स्नेह ,कर्तव्य आदि दोहराती मैं “माँ” के करीब बहुत करीब पहुँच गई l माँ का डांटना , सिखाना , सबकुछ अब मैं समझने लगी थी l मैं समझ पा रही थी वह कठोड़ क्षण , जिन्होंने एक-एक पल स्वयं झेलकर सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चे की सुरक्षा हेतु समझौता किया था l माँ का समर्पण (निस्वार्थ ) काश वह बच्चे समझ पाते जो हर परिस्थिति में अपने बच्चे की भलाई के बारे में ही सोचती और कर्तव्य करती हैं l वे सहनशील त्याग की मूर्ति तथा ममतामयी ह्रदय से बंधी होती हैं l मैं नहीं जानती उन लोगों के बारे में जो माँ की इज्जत नहीं करते l जिस माँ ने नौ महीने अपने गर्भ में रखकर अपने बच्चे को इस खुबसूरत दुनिया से परिचित कराया l वह ऋण हम कभी नहीं चूका पाएंगे l बच्चे बड़े होने पर भी उनकी नजरो में सदैव बच्चे ही रहते हैं l मैंने उस बच्चे को भी देखा हैं जो अपनी माँ को किसी भी हालत पर दुखी नहीं देख सकते और हरदम उनका ख्याल रखते हैं l और वह बच्चा काफी आगे जाता हैं l माँ के चरणों में ही तीरथ हैं जो हरपल अपने बच्चे की भलाई चाहती हैं ,आशीर्वाद देती हैं और दुआ करती हैं l मेरी माँ सयानी हो चली हैं ,अर्थराइजड की मरीज़ हैं , उनके कष्ट पर मैं विचलित होती हूँ , अपने पास रखकर सेवा करना चाहती हूँ पर वे यह कहकर टाल देती हैं की तुम अपना ख्याल रखो मैं ठीक हूँ एक तरफ से किस्मत वाली भी हैं बेटा बहुत ख्याल रखता हैं उनका l हमारी माँ हमारे लिए बहुत ही स्पेशल हैं l हमने उन्हें कभी भी बच्चे के लिए लड़ाई करते नहीं देखा l यदि कभी किसी ने हमारी शिकायत भी कर दी तो वह उन्हें कुछ नहीं कहती थी उलटे हमें डांट पड़ती थी की कैसे उन्हें शिकायत का मौका मिला जरुर तुम्हारी गलती रही होगी l आज जबकि मैं उनसे दूर हूँ और वे तकलीफ में हैं तो बुरा तो लगता हैं मगर दिल से उनके लिए दुआ ही निकलती हैं ……………माँ भवानी उन्हें सदैव स्वस्थ रखे ……..खुश रखे ………………और शांति प्रदान करे l मेरी नजर में केवल एक दिन ‘मदर डे’ मानाने का कोई मतलब नहीं , यदि हम वाकई में अपनी माँ से प्रेम करते हैं तो उनके दिल को कभी ठेस न पहुंचाए तथा जितना बने ज्यादा से ज्यादा उनकी सेवा करते हैं और उन्हें खुश रखने का प्रयास कर सकते हैं l जैसा की मैंने कहा माँ का ऋण हम कभी नहीं चूका सकते l माँ का स्थान सबसे ऊँचा हैं उनकी जगह कोई नहीं ले सकता l सभी माताओं को इस मदर डे पर मेरा हार्दिक नमन…..के साथ वे सभी हमेशा खुश रहे स्वस्थ रहे इसी कामना सहित …… जय माता दी ,जय हिंद ,जय भारत……………………..l

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