गतांग से आगे ……. (२) मानसिक हानि:- मदिरा सेवन से कुछ हद तक राहत मिलती है परन्तु इसके हानी से वह बच नहीं सकता . (अ ) डिप्रेसन :- लगातार मदिरा सेवन से मस्तिष्क के रसायन में गड़बड़ी होती हैं जिसके कारण शराबी डिप्रेसन के शिकार हो जाता है .वह दुखी रहने लगता है और शराब की सहायता लेने पहुच जाता हैं . जो व्यक्ति डिप्रेसन और मदिरा से ग्रस्त रहता है उस व्यक्ति में आत्महत्या के सम्भावना कई गुना बढ़ जाती हैं. (ख) चिंता की बीमारी (एन्जईती) कुछ व्यक्ति चिंता से बचने के लिए मदिरा की सहायता लेने पहुँच जाते है .अगर .वह मदिरा छोड़ना चाहे तो घबड़ाने लगता है, शरीर कांपने लगता है तनाव और निद्रा की कमी के कारण दिल का धड़कन बढ जाता है . (ग) याददास्त में कमी :- नशे में भूलना एक अलग बात है लेकिन लगातार मदिरा सेवन के कारण पूर्ण रूप याददास्त में कमी आती है . (घ) इर्ष्या:- शराबी प्रधान पुरुष हो या महिला वह अपने पत्नी या पति पर पर इर्ष्या करते देखा जाता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन में अशांति देखने को मिलता है. अन्य प्रभाव:- पागलपन तथा डरावना वातावरण का अनुभव करना .जैसे भुत-प्रेत देवी-देवता दिखाई देना डरावनी आवाज सुनाई देना आदि. (३)सामाजिक समस्या :- ज्यादातर सामाजिक कारण मदिरा ज्यादा मात्रा में सेवन करना है. (क)घरेलु सम्बन्ध:- घरेलु झगडा, उग्र व्यवहार के कारण बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ होना परिवार का देखभाल न कर पाना, गाली बकना तथा यौन अत्याचार करना शामिल है .हालाँकि शराबी खुद नहीं जनता कि वह क्या कर रहा है. (ख) व्यावसायिक समस्या :- शराबी अपने व्यावसायिक छेत्र में भी समस्या से घिर जाता है .जैसे काम करने में असमर्थ होना ,आलसी हो जाना ,दुर्घटना तथा सोचने की छमता कम हो जाना आदि. (ग) अपराधिक व्यव्हार :-कुछ अपराध जैसे मदिरापान करके गाड़ी चलाना , चोरी करना ,चल-कपट, यौन अपराध, लड़ाई झगडा ,पारिवारिक हिंसा आदि . मदिरापान के उपचार कैसे किया जाये ? मदिरापान से छुटकारा पाने के लिए शराबी व्यक्ति को दुसरो की मदद लेना बहुत जरुरी होता है .क्योकी रोगी अकेले शराब नहीं छोड़ पाता.मदिरा छुड़ाने के लिए आजकल बाज़ार में बहुत प्रकार की दवा उपलब्ध है .परन्तु पूर्णत : स्वास्थय लाभ नहीं होता .इस रोग से पूर्ण रूप से ठीक होने के लिए अनेक प्रकार के उपचार के भीतर विश्व व्यापी संस्था “एल्कोहोलिक एनानमस” सबसे कारगर है .जहाँ शराबी व्यक्ति इस संस्था से जुड़कर संस्था के बारह सोपानो (बारह कदमो) के अभ्यास से मदिरापान से मुक्त रह सकता है . इसके लिए रोगी में आन्तरिक प्रवल इक्षा शक्ति और ईश्वर के प्रति विशेष आस्था जरुरी होता है. कुछ रोगियों को रेहेविलेसन सेंटर में रखकर इलाज किया जाता है.
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