समझ में नहीं आता जातीय हिंसा करके या कराके कुछ लगों को क्या फायदा होता हैं ? लोग क्यों इस तरह आग में जलकर खुद का ,समाज का ,या फिर देश का नुक्सान करने पर तुला हैं l क्यों ?आखिर क्यों ये दंगा फसाद करते हैं इस तरह , कोई तो नहीं चाहता किसी की हानि हो तो फिर इसतरह एक दुसरे का दुश्मन बनकर क्यों दंगा में जल रहे हैं इन दिनों लोअर असम के लोग l कुछ लोग क्यों मानवता के शेष सीमा को भूल कर अपने कु-कृत्य को अनजान दे रहे हैं ? एकबार फिर धधक रहा हैं लोअर असम के तीन जिले – “कोकराझार”,” चिरांग ” और धुबड़ी l १९९६ के दंगे को दोहराती पिछले पांच दिनों से इन जिलों में गो गुटों के बीच हिंसा भड़क उठी हैं l आगजनी ,लूटपाट ,हत्या जैसे वारदातों से लोग थर्रा उठे हैं l भय से ग्रसित लोग अपना घरबार छोडकर पलायन कर रहे हैं l इस हिंसा में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं ,बच्चे बूढ़े तथा महिलाए l प्रशासन की धीमी गति को देख लोग क्षुब्ध हैं ,हालाकि प्रशासन ने कुछ जगहों पर राहत शिविर बना दिया हैं पर उसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता l प्रशासन स्वयं मान रहे हैं की सरकार सुरक्षा मुहया नहीं कर पा रहे हैं तो क्या करे l लोग सरकार पर अंगुली उठाने लगे हैं l लोग तो दबे जुबान में यहाँ तक बाते करने लगे हैं कि कही इन घटना के पीछे सरकार की ही चाल तो नहीं ? सियासी खेल वही जाने l मगर मानवता की एक हद होती हैं जहाँ से जिंदगी शुरू होती हैं l कोकराझार में दो गुटों के बीच हुई झड़प से आम जन-जीवन अस्त -व्यस्त हो गया हैं l वो चाहे कोई भी गुटों की बृद्धा हो या बच्चे ,उनकी आँखों में वह खौपनाक नजारा हटना इतना आसान नहीं हैं उन आँखों से निरंतर आंसू बह रहे हैं , कुछ अपनों को खोकर तो कोई भयक्रांत होकर, सहमे हुए हैं l
हिंसा का कारण
कहा जा रहा हैं क़ि हिंसा का कारण कोकराझार बोडो भूमि के बोडो और मुस्लिम छात्रों के बीच हुई तनाव से भड़की हैं l करीब २०-२५ दिन पहले एक मुस्लिम छात्र को किसी ने हत्या कर दी थी l उसे क्यों और किसने मारा कोई नहीं जानता l जिससे मुस्लिम छात्र भड़क उठे थे l इधर बीते शनिवार की रात फिर बोडो जनजाति के ४ लडको की कोकराझार में नृशंस रूप से हत्या कर दी गयी l जिससे खफा दोनों गुटों के बीच खून खराबा गोली बारी ,लूटमार और आगजनी शुरू हो गई l झड़प ने भीड़ की शक्ल ले लिए ,उत्तेजित भीड़ दहक उठे चारो तरफ से l जिसमे पिसते रहे निरपराध लोग l अब सवाल यह उठता हैं क़ि आग भड़काने के पीछे किसका हाथ हैं ? कहीं किसी मजबूत हाथ तो नहीं ? वरना सालो से मिलजुल कर रह रहे दो गुटों के बीच इतना तनाव कैसे संभव हो सकता हैं ? इतनी जल्दी चारों तरफ हिंसा फ़ैल गई क़ि आतंकित दोनों गुटों के लोग राहत शिविर में जमा होने लगे l लोग तो यह भी कहने लगे की इस हिंसा के पीछे राजनितिक कारण हो सकता हैं वर्ना पांच दिनों से लगातार हो रही हिंसा में प्रशासन क्यों कमजोर रहा ? हालाँकि लोगो के गुस्से और उत्तेजना से अब सरकार हरकत में आई हैं l १२१ राहत शिविर और ४४ बटालियन ,सेना /पुलिस /,सी .आर पी ऍफ़ के जवानों को तैनात कर दी गई l फिर भी माहौल असामान्य बना हुआ हैं l ६ठ वे दिन राहत शिविर में मुहैना करने वाले डी.सी . तथा मजिस्ट्रेट स्वयं प्रशासनिक अधिकारी होते हुए भी सुरक्षित नहीं रहे , राहत शिविर में उत्तेजक भीड़ ने धावा बोल दिया l अब भी कर्फ्यू जारी हैं ……………..l कोकराझार (बोडो भूमि ) दहक रहा हैं ………….ऐसे समय जब किसान अपने खेतो में हल जोत रहे होते या फिर धान बो रहे होते …..मानसून पर निर्भर किसान जातीय हिंसा के चपेट में इस तरह फंसे हुए हैं कि जान बची तो लाखो पाए l ऐसे में सभी गुटों के लोग शान्ति बनाये रखने की अपील कर रहे हैं l सोचने वाली बात तो यह हैं इतने वर्षो से साथ रह रहे लोग एकदम से हिंसा पर क्यों उतर आये ? कही इस हिंसा के पीछे किसी शक्तिशाली संस्था का हाथ तो नहीं ? जो आपस में दंगा करवाकर सरकार को बदनाम कर रही हैं l परन्तु सवाल यह भी उठता हैं सरकार इतने दिनों तक क्यों माहौल को शांत नहीं कर पाई l पता नहीं कारण जो भी हैं हिंसा तो हिंसा हैं l हिंसा सही बात नहीं जिससे सिर्फ नकसान ही नुक्सान होता हैं l इससे क्षति ही पहुँचती हैं l लोगो के बीच संवेदना कहाँ मर गई ???क्यों एक दुसरे के खून का प्यासे बन गए हैं ? दिल में आक्रोश हाथो में हथियार चेहरे पर क्रूरता और सहमते आम लोग …………कोई किसी पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं l इस जातीय हिंसा से दोनों गुटों के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हैं l जो कि नहीं होना चाहिए था l ऐसे में मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि हमें इंसानियत धर्म का पालन करना चाहिए l देश दुनिया से बेखबर अपने ही घर को फूकते इन अत्यचारियों को हे भगवान् जल्द से जल्द सत्बुद्धि दे ताकि जल्द से जल्द इस बोडो भूमि में शान्ति बहाली हो और पूर्ववत हो जाए परिवेश l
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