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६६ वा स्वतन्त्रता दिवस , क्या सचमुच हमें आजादी मिली हैं ?

मेरी कहानियां
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भारत आजाद तो हो गए l मगर क्या हमलोग सचमुच आजाद हो गए? यह प्रश्न मेरे जेहन में बार-बार कचोटता हैं l कहने को तो हम आजाद जरुर हो गए हैं मगर गुलामी के जंजीरों से हम आजाद नहीं हो पाए हैं l हमारे संविधान में दिए गए अधिकारों का भी ठीक-ठीक पालन नहीं होता l हमारे देश के कई जगह हैं जहाँ बोलने की अधिकारों को भी छिना जाता हैं l गरीब बच्चे का बचपन मजदूरी में ख़त्म होता हैं जबकि उसे स्कूल में होना चाहिए होता हैं १४ साल के कम उम्र के बच्चे को मजदूरी करना कानूनी अपराध हैं , मगर गरीबी ,मज़बूरी में आज भी कुछ बच्चे कानून बन्ने के बावजूद भी स्वतंत्र नहीं हैं l अभी कुछ दिन पहले गुवाहाटी के न्यूज़ चेनेल पर एक किशोरी को उसके घर मालकिन ने बेरहमी से पीटकर घर से निकाल दिया उसका कुसूर बस इतना था की सुबह से काम करते-करते थक कर उसकी आँखें लग गई थी l हम कहाँ स्वतंत्र हैं ?खास करके लड़किया?पिछले दिनों गुवाहाटी के सड़क पर जिस प्रकार से २० दरिंदो ने एक लड़की को खिलौनी की तरह खेलते हुए उसकी इज्जत को उछाला वह पूरी दुनिया ने देखा l हम सभी जानते हैं भ्रष्ट्राचार के प्रकोप किस तरह फैला हुआ हैं ,यह भ्रष्ट्राचार १० रुपयों से शुरू होकर कडोरों तक पहुंची हैं l
एक ओर तो हम आजादी का जश्न मनाते है परन्तु असम में हर वर्ष स्वतंत्र या गणतंत्र दिवस पर पूरा असम बंद रहता हैं i सरकारी दफ्तरों,स्कूल,कॉलेज,डी सी.कार्यालय में झंडा फहराते हैं i अपने ही देश की आजादी मनाने के लिए डर बना रहना यह कैसी आजादी हैं ?२००४ के १५ अगस्त असम के इतिहास में काले दिन के रूप में अंकित है i यह दिन असम्वासी कभी नहीं भुला सकते i जी हाँ , उस दिन १५ अगस्त को आजादी मनाने गए छोटे-छोटे बच्चे धेमाजी के परेस ग्राउंड पर गए थे i सभी बच्चे बहुत खुश थे i लेकिन उन्हें यह कहाँ पता था कि वह जहाँ खड़े थे उसके नीचे आतंवादियों ने पहले से ही बम बिछा रखा हैं i देश की आजादी का गुण-गान गाते-गाते बच्चो की पलक झपकते ही परखच्चे उड़ गए थे I आजादी पलभर में ही मातम में बदल गयी थी I इस बोम ब्लास्ट में लगभग १७ बच्चों की स्पोट में ही मौत हुयी थी जिनमे ९ बच्चियां थी तथा ४० लोग घायल हुए थे I इश्वर उन बच्चों की आत्मा को शांति प्रदान करे i
आज भी निचली असम के लोग भय मुक्त होकर जी नहीं पा रहे ,अपनी आजादी का उपयोग सही-सही नहीं कर पा रहे हैं l हैं ? सोचने वाली बात तो यह हैं की आखिर कब होगी असल में हमारी आजादी ?

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