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मेरी नजर में हिंदी श्रेष्ठ भाषा हैं ……..हिंदी दिवस पर विशेष (jagran junction forum )

मेरी कहानियां
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जन-जन की भाषा हैं हिंदी ,इस बात को गांधीजी ने अच्छी तरह समझ लिया था l तभी तो उन्होंने अनुभव किया था कि राष्ट्र भाषा आन्दोलन उतना ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि स्वतन्त्रता आन्दोलन l गांधीजी ने महसूस किया था कि राष्ट्रभाषा हिंदी ही पुरे राष्ट्र को जोड़ कर रख सकती हैं l हिंदी यानी हिन्दुस्तान की भाषा जिसे गाँधी जी हिन्दुस्तानी भाषा कहते थे जो बड़ी आसानी से लोग बोल सकते हैं समझ सकते हैं l गांधीजी हिंदी में भाषण दिया करते थे l एकबार नंदीग्राम में गांधीजी से मिलने के लियुए मशहूर वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर रमण आये l उन्होंने बातो ही बातो में कहा कि हिंदी कि क्या उपयोगिता हैं ? तो गाँधी जी बोले -” यह उतनी ही उपयोगी हैं, जितना कि आपकी साइंस l हर एक विषय की अभिव्यक्ति के लिए हिंदी में क्षमता हैं l बिना सीखे ही करोडो लोग हिंदी बोल सकता हैं l ऐसी स्थिति में हिंदी के बदले अंग्रेजी सीखने का प्रयत्न करे तो यह दुर्भाग्य की बात होगी l “गाँधी की मान्यतानुसार करोड़ो लोगों को अंग्रेजी में शिक्षा देने का मतलब हैं उन्हें गुलामी में डालना l मैक्ले ने शिक्षा की जो बुनियाद डाली, वह सचमुच गुलामी की बुनियाद थी l गांधीजी ने इसी कारण घोषित की थी की “हिंदी के बिना स्वराज निरर्थक हैं l ” सच कहा था – आज भी हिंदुस्तान के कोने-कोने में जाकर देखे कम से कम हिंदी बोलने और समझने वाले आपको मिल ही जायेंगे चाहे वह टूटी फूटी हिंदी क्यों न हो l पूर्वोत्तर के राज्यों में अरुणाचल एक ऐसा राज्य हैं जहाँ आम लोग हिंदी का ही प्रयोग करते हैं l मुझे लगता हैं हिन्दुस्तानी भाषा हिंदी बहुत ही मीठी भाषा हैं , मेरी नजर में तो हिंदी दुनिया की श्रेष्ठ भाषा हैं l एक उदाहरण शेयर करना चाहती हूँ – बचपन में हमें मास्टरजी पहाडा याद कराते थे l याद भी ऐसे कि कही से भी पुछो तपाक से जवाब दे सकते थे l आजकल के बच्चो को टेबल याद करना पड़ता हैं – टू वन जा वन , टू टू जा फॉर ……टू सेवेन जा ..(क्या था गिनना पड़ता हैं तब जाकर कही बोल पाते ) मेरी नजर में इसका कारण यही हैं कि हम जितनी अपनी भाषा में सुविधा और सहज महसूस करते हैं उतना अंग्रेजी में नहीं l हमें जितना गर्व भारतीय होने पर हैं उतना गर्व अपनी राष्ट्र भाषा के लिए भी होने चाहिए l जय हिंदी ,जय हिंदुस्तान l
(उपर्युक्त लेख का अंश डॉ.दिलीप मेधी जी का लेख” हिंदी के प्रति दृष्टि गांधी के ” से साभार लिए गए हैं )

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