मेरी नजर में हिंदी श्रेष्ठ भाषा हैं ……..हिंदी दिवस पर विशेष (jagran junction forum )
मेरी कहानियां
215 Posts
1846 Comments
जन-जन की भाषा हैं हिंदी ,इस बात को गांधीजी ने अच्छी तरह समझ लिया था l तभी तो उन्होंने अनुभव किया था कि राष्ट्र भाषा आन्दोलन उतना ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि स्वतन्त्रता आन्दोलन l गांधीजी ने महसूस किया था कि राष्ट्रभाषा हिंदी ही पुरे राष्ट्र को जोड़ कर रख सकती हैं l हिंदी यानी हिन्दुस्तान की भाषा जिसे गाँधी जी हिन्दुस्तानी भाषा कहते थे जो बड़ी आसानी से लोग बोल सकते हैं समझ सकते हैं l गांधीजी हिंदी में भाषण दिया करते थे l एकबार नंदीग्राम में गांधीजी से मिलने के लियुए मशहूर वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर रमण आये l उन्होंने बातो ही बातो में कहा कि हिंदी कि क्या उपयोगिता हैं ? तो गाँधी जी बोले -” यह उतनी ही उपयोगी हैं, जितना कि आपकी साइंस l हर एक विषय की अभिव्यक्ति के लिए हिंदी में क्षमता हैं l बिना सीखे ही करोडो लोग हिंदी बोल सकता हैं l ऐसी स्थिति में हिंदी के बदले अंग्रेजी सीखने का प्रयत्न करे तो यह दुर्भाग्य की बात होगी l “गाँधी की मान्यतानुसार करोड़ो लोगों को अंग्रेजी में शिक्षा देने का मतलब हैं उन्हें गुलामी में डालना l मैक्ले ने शिक्षा की जो बुनियाद डाली, वह सचमुच गुलामी की बुनियाद थी l गांधीजी ने इसी कारण घोषित की थी की “हिंदी के बिना स्वराज निरर्थक हैं l ” सच कहा था – आज भी हिंदुस्तान के कोने-कोने में जाकर देखे कम से कम हिंदी बोलने और समझने वाले आपको मिल ही जायेंगे चाहे वह टूटी फूटी हिंदी क्यों न हो l पूर्वोत्तर के राज्यों में अरुणाचल एक ऐसा राज्य हैं जहाँ आम लोग हिंदी का ही प्रयोग करते हैं l मुझे लगता हैं हिन्दुस्तानी भाषा हिंदी बहुत ही मीठी भाषा हैं , मेरी नजर में तो हिंदी दुनिया की श्रेष्ठ भाषा हैं l एक उदाहरण शेयर करना चाहती हूँ – बचपन में हमें मास्टरजी पहाडा याद कराते थे l याद भी ऐसे कि कही से भी पुछो तपाक से जवाब दे सकते थे l आजकल के बच्चो को टेबल याद करना पड़ता हैं – टू वन जा वन , टू टू जा फॉर ……टू सेवेन जा ..(क्या था गिनना पड़ता हैं तब जाकर कही बोल पाते ) मेरी नजर में इसका कारण यही हैं कि हम जितनी अपनी भाषा में सुविधा और सहज महसूस करते हैं उतना अंग्रेजी में नहीं l हमें जितना गर्व भारतीय होने पर हैं उतना गर्व अपनी राष्ट्र भाषा के लिए भी होने चाहिए l जय हिंदी ,जय हिंदुस्तान l (उपर्युक्त लेख का अंश डॉ.दिलीप मेधी जी का लेख” हिंदी के प्रति दृष्टि गांधी के ” से साभार लिए गए हैं )
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments