Menu
blogid : 282 postid : 2532

चेहरे (कविता)

मेरी कहानियां
मेरी कहानियां
  • 215 Posts
  • 1846 Comments

चेहरे

सुबह से शाम तक की
भागदौड़ के दौरान
सामना हो जाते है
नजाने कई चेहरे
अखबारवाले /चायवाले/
पानवाले /इटा-बालू ढोनेवाले /
रिक्शावाले /भीड़ भरे बसों में लटकनेवाले
दफ्तर की फाइलों में खोनेवाले
और
तेज़ धूप में
सड़क के किनारे पत्थर तोड़नेवाले
किसी को पुछने की जरुरत नहीं
ये इंसानी चेहरे
स्वयं दर्शाती है अपनी कहानी
निष्तेज़ चेहरे पर है
बेबसी !
किसी को खुस कर न पाने की
किसी को दे न सकने की
सिवाय इसके
नित्य बढती मुल्यावृधी
प्रहार करती है
इन चेहरे को बेरहमी से
फिर भी वो जूझ रहा है
या विवशता उसे
मजबूर करा रहा है
पापी पेट के खातिर
ये इंसानी चेहरे
कल को भुलाकर फिर आज
निकलने को विवश है
खून -पसीना बहाने वाले
इन चेहरों को
दो -जून की रोटी के लिए
नजाने कितने रास्ते
तय करने पड़ते है
अभी कल
एक चेहरे से
मेरा सामना हुआ था
मुस्कान हीन चेहरे पर
चिंताओं का ग्रहण लगा हुआ था
यह विडम्बना नही तो
और क्या था
स्वयं नौकरी पेसा होते हुए भी
वह
एक कफन के लिए भटक रहा था
************

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh