आज मुझे कैंसर रोग से उबरे पुरे पांच साल हो गए हैं l २२ अप्रैल २००८ को आज ही के दिन पुणा कमांड हॉस्पिटल में मेरा ब्रेस्ट कैंसर का सफल अप्रेशन हुआ था l मुझे आज भी वह पल सजीव लगता हैं कि कैसे मैंने उस पल को झेला था l वार्ड के साथी महिलाओं के दर्द की कहानी कमोवेश एक जैसी थी मगर मै मायुष नहीं थी क्योंकि मुझे घर वापस जाना था जहाँ मेरी नौ और पांच साल की बच्चियां घर में मेरी राह ताक रही थी l पतिदेव को पूरा विश्वास था कि मुझे कुछ नहीं होगा l ये उन्ही के विश्वास का फल था कि मेरे जीवन में मातारानी की असीम कृपा रही और मुझे बेहतरीन इलाज मिली l शुक्रगुजार हूँ मेरे उन डॉक्टरों, सिस्टरो ,मित्रो ,आया तथा उन लोगो का जिन्हें मैं आज भी नहीं जानती पर उनके खून दान से मुझे जीवन मिला था l पिछले दिनों रूटीन चेक अप पर जाते वक्त कोल्कता कमांड में डॉ .ने ढेर सारी टेस्ट लिख कर दिए जिनमे बॉन स्केन भी शामिल था l l ईश्वर का लाख-लाख शुकर हैं कि मेरे सारे टेस्ट नार्मल निकले l वहाँ मरीजो की जिज्ञास ,डर ,झिझक ने एक बार फिर पुरानी यादे ताजी कर दी l बहुत ऐसे रोगी मिले जो बहुत सी बाते नहीं जानते l हमने अपना अनुभव बाट कर कुछ हद तक उन मरीजो का हौसला बढाया l कैंसर लाइलाज बिमारी नहीं हैं ,डाईग्नोसिस होने पर इलाज हो सकता पर इसकी इलाज थोड़ी कीमती जरुर हैं l पर इस बीमारी को जीतने के लिए दुआ ,दवा के साथ हिम्मत की भी सख्त जरुरत हैं l डेढ़ साल तक चली मेरी इस इलाज में नजाने कितने जंग लड़ने को वाध्य थी मैं ,पर हर बार मुझे ईश्वर ने शरण दिया , साहस दिया और धैर्य भी l मैं दिल से ईश्वर का आभारी हूँ l मुझे नई जिंदगी मिली ,मैंने करीब से जीवन को देखा , जीवन का बहुत मुल्य हैं इसकी समझ तब आई जब मौत सामने खड़ी थी l बहुत कुछ बदल गया जीवन में ,जब करीब से जीवन को देखा तो पाया हम व्यर्थ के भ्रम में जी रहे थे ,हमने सबसे पहले तो अपनी सोच बदली , सामने सकारात्मक राह बाहे फैलाए मेरा इन्तजार कर रहा था l सकारात्मक विचार ने मुझमे उर्जा भर दिए l इसमें एक चीज सबसे कॉमन था l और वह था – ‘मुझे जीना हैं अपनी मासूम बच्चियों के खातिर “, मुझे ईश्वर के आशीर्वाद स्वरुप नजाने कितने लोगो का सहारा मिलता गया l उनमे से कुछ लोग न तो मेरे दोस्त थे न ही कोई रिश्तेदार ! बस रिश्ता था तो केवल इंसानियत का l इस अवधि में मैंने बहुत कुछ सहा या यह कहु सहने की अपार ताकत मिली l मैं सदैव चौकन्ना रहती ,और मनमे ढेर सारी जिज्ञासाएं लिए क्योंकि इस रोग से निजाद पाने मैं आखिरी दम तक कोशिश करना चाहती थी l शायद इसीलिए मेरे साथ सबकुछ अच्छा होते गया l हमारे ऊपर एक सर्व शक्तिमान विराज मान हैं जो हमें सदैव उस अहंकार से बचाए रखता हैं l मुझे याद हैं कठिन समय में मुझे सहने की शक्ति उन्ही दयालु भगवान से मिली थी l वर्ना मेरी क्या विसात ? आज पांच साल हो गए हैं इस बात को पर लगता हैं अभी की बात हैं l कहते हैं कैंसर पीड़ित को सदैव प्यार भरा माहौल में खुश रखना चाहिए l हाँ इस बात का ध्यान अवश्य देना होगा कि लोगों में जागरूकता लाने की सख्त जरुरत हैं l अंत में डॉ. भाग्यश्री मेम के लिए दो शब्द कहना चाहती हूँ जिन्होंने शुरू से अब तक मेरा हौसला बढाती रही हैं l मैं ह्रदय से उनका शुक्रगुजार हूँ l हर समय जब भी मुझे किसी भी बात के लिए जरुरत पड़ी मेम ने सदैव मेरा मार्गदर्शन किया l खुश नसीब हूँ जो मुझे इतने अच्छे-अच्छे लोग मिले l और एक नाम न लू तो गलत होगा ,वह हैं मेरी सहेली हेमा महाजन जिसने मेरी गैरहाजिरी में मेरे बच्चो का ख्याल रखा l डेढ़ साल की कठिन इलाज के बाद मैं पुन : परिवार के पास पहुची l आज स्वस्थ हूँ नार्मल जीवन जी रही l धन्यवाद ईश्वर, आपके आशीर्वाद वगैर यह कतई संभव नहीं होता l
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