जाड़े का मौसम था l मृदु की पहली डिलीवरी के लिए उसे नर्सिंग होम में भर्ती किया गया था l उसका पति सज्ञान छुट्टी लेकर दो दिन पहले ही उसके पास के पास पहुँच गया था l तय हुआ था की पहली डिलीवरी मायके में ही होगी l घर में पहला बच्चा आने वाला था l सभी को इस बात से काफी उत्सुकता थी l उसकी माँ तो हर समय उसका पूरा-पूरा ख्याल रखती l माँ की छत्रछाया में वह भी चिंता रहित हो गई थी l डॉक्टर के सुझाए निर्धारित तारीख पर उसे दाखिल कर दिया गया l मृदु आपरेशन थियेटर के अन्दर थी और बाहर घरवाले दुआ के साथ प्रतीक्षारत…………l
कुछ क्षण पश्चात तौलिये में लिपटा हुआ नवजात शिशु के साथ नर्स आकर बोली – “बधाई हो लड़का हुआ हैं l ” यह सुन कर परिवार वाले बहुत खुश हुए l नर्स के हाथो से नवजाद शिशु को लेते हुए बारी-बारी से सभी बच्चे को गोद में उठाकर खुशियाँ जाहिर करने में व्यस्त हो गए l पर इस घडी में उस कुल गौरव को जन्म देने वाली माँ को जैसे वे भूल गए थे l उधर उसे बेड में लिटाया गया था और वह ठण्ड से कांप रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे उसकी किसी को कोई परवाह नहीं हैं l परन्तु एक माँ भला अपनी बेटी को कैसे भूल सकती थी ? वह अब भी अपनी बेटी के पास खड़ी थी l क्यों न हो वह एक बेटी की माँ थी जिनकी बेटी ने आज एक कुल गौरव को जन्म दिया था l वह माँ ही होती हैं जो अपने बच्चे का हरसमय ख्याल रख सकती हैं बिना किसी स्वार्थ के l तभी तो बेड पर पड़ी ठिठुर रही अपनी बेटी को देखकर मृदु की माँ ने कहा था “अरे कोई तो बच्ची के लिए कम्बल लाओ l देखो तो कैसे ठिठुर रही हैं! ” इतना क्या कहना था नर्स ने भी तत्परता दिखाई और कम्बल लाकर मृदु को ओढ़ा दिया l माँ ने प्रेम से उसके माथे पर हाथ फेरा l
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