Menu
blogid : 282 postid : 2547

उसका दर्द (कविता)

मेरी कहानियां
मेरी कहानियां
  • 215 Posts
  • 1846 Comments

उसका दर्द (कविता)

उसने कहा –
कभी-कभी ये हवाएं
दिल को कचोटती हैं
हरी-भरी घासे भी
पैर को चुभती हैं l
जिंदगी क्यों?
अपनी गति से
नहीं चलने देती
वह चुभन का एहसास
क्यों सालते रहता हैं l
बस इतना ही तो चाहा था उसने
कि! हमसफ़र का हो साथ उसे
न चाहत उसे कोई गहनों की
न ही धन दौलत का सुख
वहाँ हो, तो सिर्फ प्यार का अहसास
पर आज क्यों?
मैंने हैं देखी
वह अनकही पीड़ा उसकी आँखों में
जो करीब होते हुए भी हमसफ़र के
जैसे कोसों दूर हैं वह ……..l

शादी की चौदहवी सालगिरह
हैं आज उसकी
पर हैं
वही सन्नाटा,दिनचर्या, भागदौड़ ,
न गुलाब,
न शुभकामनाये,
न कोई भेंट
न ही अपनापन का
गर्म एहसास l
इस सिंदूर की ताकत
मेहंदी रची इन हाथों का सगुन
खनकती चुडिया
व्
माथे की बिंदिया
क्या कभी उसे
अपने होने का विशवास जगा पायेगा ?
या फिर ,
आम औरत की तरह
वह भी
दिल में दर्द लिए
इस दुनिया से
रुखसत होगी!
क्या रिश्तों का धागा
अनमोल नहीं होता?
जो
चाहे तो पिरो सकते हैं उसमे
प्यार का माला l
बस अब
दुआ हैं इस घडी में
उसके लिए मेरी
हो जीवन में उसकी भी
सब कामनाएं पूरी l

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh