Menu
blogid : 282 postid : 605435

हिंदी दिवस पर ‘पखवारा’ के आयोजन का कोई औचित्य है या बस यूं ही चलता रहेगा यह सिलसिला?

मेरी कहानियां
मेरी कहानियां
  • 215 Posts
  • 1846 Comments

हिंदी दिवस पर ‘पखवारा’ के आयोजन का कोई औचित्य है या बस यूं ही चलता रहेगा यह सिलसिला?

जी बिलकुल , हिंदी दिवस पर ‘पखवारा’ के आयोजन का औचित्य हैं l इससे पहले की हम इस विषय पर चर्चा करे , हिंदुस्तान में हिंदी भाषा कब से आई इन बातों पर थोडा प्रकाश डालना चाहेंगे l
हमारे संविधान ने सन १९४९ में हिंदी को राजभाषा घोषित किया था l परन्तु इतिहास पलटकर देखा जाए तो हिंदी का प्रारंभिक स्वरुप व् विकास उत्तर अपभ्रंश काल में ही हुआ था l
प्राचीन काल के सिक्कों में इसका संकेत मिलता हैं की कैसे मोहम्मद घोरी ने देवनागरी लिपि का प्रयोग किया था l हालाँकि इस संपर्क भाषा की शुरुआत दशवी शताब्ती में हुई थी पर इसका अत्यधिक विकास तेरहवी शताब्दी में हुई थी l इतिहास कहता हैं की हिंदी का नाम विदेशियों द्वारा दी गई थी l हिंदी के अलावा , हिन्दुई, हन्द्वी, दहलवी आदि नाम से भी जाना जाता था l मुग़ल काल में तो हिंदी का स्थान लगभग सह-भाषा के रूप में था l इतिहास से पता चलता हैं की सम्राट अकबर और जहांगीर को भलीभांति हिंदी आती थी l
डॉ. केलकर की पुस्तक ” अट्ठारवी शताब्दी के हिंदी पत्र ” के अनुसार उत्तर भारत के राजाओं और कर्मचारियों को लिखे जाने वाले पत्र हिंदी में ही होती थी l इसका प्रमाण बीकानेर के दो राजाओं द्वारा १७४५ और १७७२ में हिंदी में लिखे पत्र द्वारा पता चलता हैं l १८०८ में अलवर के राजा ने हिंदी को राज भाषा घोषित किया था l उनका आदेश था की भवनों/मार्गो का नाम हिंदी में लिखा जाए l राजा स्वयं हिंदी साहित्य प्रेमी भी थे l
गैर हिंदी राज्य में भी हिंदी को प्यार मिला l हिंदी की सरलता अधिकाँश लोगों द्वारा बोलचाल में प्रयुक्त किया जाने लगा l राजनीति व्यवहार क्षमता आदि ने विदेशियों को भी इस भाषा की और आकृष्ट किया l तभी तो १६९८ इश्वी में होलैंड के निवासी जोन जोशुआ कलर ने उच्च भाषा में हिंदी का पहला व्याकरण लिखा और इसका शीर्षक रखा “हिंदुस्तानी -भाषा l ”
हमारे सरजमीं पर फिरंगियों ने बहुत सालों तक राज किया l परन्तु ईस्ट इंडिया कम्पनी भली -भांति जान गया था कि यदि हिंदुस्तान में टिका रहना हैं तो यहाँ की भाषा को जानना आवश्यक हैं l इसीलिए १८०३ में ईस्ट इंडिया ने एक आदेश निकाला था कि मूल नोट के साथ प्रत्येक अधिनियम को हिन्दुस्तानी भाषा में अनुवाद किया जाएगा l
हिंदी को संपर्क भाषा बनाने हेतु बंगला भाषा का योगदान भी कम उल्लेखनीय नहीं रहा l “उदंड मार्तंड ” हिंदी में निकलने वाली प्रथम समाचार पात्र था (१८२४) और दूसरा १८३६ में प्रकाशित “बंगदूत” था l
स्वतंत्रा आन्दोलन में हिंदी का प्रयोग अत्यधिक देखने को मिलता हैं स्वयं महात्मा गाँधी जी जान चुके थे कि देश को यदि कोई भाषा जोड़ सकती हैं तो वो केवल हिंदी ही थी l देश स्वतंत्र हुआ l परन्तु हिंदी भाषा को पूर्णांग रूप से दर्जा नहीं मिला अर्थात राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई l १९०५ में बागरी प्रचारिणी सभा के बैठक में बाल गंगाधर तिलक ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकारने की चर्चा कि थी l मगर भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों को यह मंजूर नहीं था l तभी आचार्य क्रिपनाली ने कहा था कि “ये सिर्फ अंग्रेजी में बोलते हैं वल्कि उसी भाषा में मुस्कुराते भी हैं और सपने भी देखते हैं l ”
१४ सितम्बर १९४९ को संविधान ने हिंदी को राजभाषा घोषित किया l हर दिवस की तरह १४ सितम्बर भी हर साल अपना जन्मदिवस मनाता आया हैं l स्कूलों , केन्द्रीय सरकार के कार्यलयों, बैंको, हिंदी संस्थाए हिंदी दिवस के साथ-साथ पखवारा आदि का आयोजन करते आ रहे हैं l जहां विभिन्न प्रतियोगिताये रखकर बच्चो में हिंदी के प्रति जागरूकता प्रदान ही नहीं करते वल्कि हिंदी भाषा के विकास में सहायक सिद्ध भी हो रहा हैं l जिससे हिंदी न केवल समृद्ध बन रही हैं ,वल्कि इसकी विशालता विश्व में में फ़ैल रही हैं l
ऐसे में मैं समझती हूँ कि हिंदी पखवारा का आयोजन होना चाहिए l पूर्वोत्तर में हिंदी धीरे-धीरे फल-फुल रहा हैं l गैर हिंदीभाषी छात्र-छात्राए हिंदी की पढाई कर विभिन्न विभागों में अच्छे-अच्छे पदों पर आसीन होकर अपनी सेवाए दे रहे हैं l इससे अच्छी गर्व की बात और क्या हो सकती हैं ?
जय हिन्द ,जय भारत !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh