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आज मन फिर से भारी हैं अनुष्का का ………..वह डिप्रेस्ड हैं ,उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा l हमेशा की तरह मस्तिष्क में कसरत चल रहा हैं l वही अहम् की टकराहट ……… पति मयंक के साथ भावनाओं की टकराहट l अनुष्का को दादी की बात याद आती हैं ” पति क्या कभी अपना होता हैं ?” महिलाओं से घिरी दादी की ये बाते तब अनुष्का को समझ में नहीं आई थी l वह सोचती पति भला अपना क्यों नहीं होता ? माता पिता के बाद पति तो सबकुछ होता हैं ,एक अभिभावक …रक्षक परन्तु यह क्या ?सब तरह से शिक्षित गुणी व्यक्तित्व के धनि होते हुए भी उसकी कोई अस्तित्व ही नहीं उस घर में l बात-बात पर मयंक का झिडकना , कभी खाने को लेकर कभी रहन-सहन को लेकर तो कभी उसके शौक को लेकर l यानी कुल मिलाकर दोनों के बिचारों में मेल कम शिकायत ज्यादा घर करने लगी l अनुष्का सोचती यह कैसा अजीब रिश्ता हैं ?,दो जहान एक ही छत के नीचे रहते हुए भी कितने अजनबी हैं l आज अनुष्का का मन किसी भी बात पर नहीं लग रहा l हमेशा की तरह आज भी मयंक के कटु वचन से वह आहत हैं l फिर वही सब बाते कि अनुष्का एक अच्छी पत्नी नहीं बन पाई ,उसमे आम पत्नी के जैसे एक भी गुण नहीं हैं l वह स्वार्थी हैं जो सिर्फ अपने लिए जीती हैं ,दुसरो का कोई ख्याल नहीं रखती न बच्चो का फ़िक्र हैं न ही घर को घर जैसे रखती हो वगैरह-वगैरह l यह सुन अनुष्का का मस्तिष्क भारी हो उठता हैं l उसे हैरानी होती हैं कि क्या यह वही मयंक हैं जो शादी के पहले बड़ी -बड़ी बाते करता था l उसकी शालीनता और प्रेमायुक्त व्यवहार से आकृष्ट होकर अनुष्का ने अपने जीवन में खास जगह दी थी उसे l इसके लिए उसने घर से भी खूब लड़ाई की l आखिर घरवालो के रजामंदी से ही अनुष्का और मयंक की शादी हो गई l वह तो यह सोच कर चुप रहती कि मयंक दिन भर बाहर रहता हैं ,नजाने कितने परेशानियों से गुजरना पड़ता हैं ,मगर मयंक को इन बातों से कोई सरोकार नहीं थी कि उसकी पत्नी भी तो घर और ऑफिस दोनों संभालती हैं l ऐसे में परिपक्कता की उम्मीद रखना भला कहाँ तक उचित हैं ?वह भी आखिर एक इंसान हैं l अनुष्का के सोच के विपरीत मयंक ऐसे कटु व्यबहार करते कि अनुष्का का जी करता जिससे वह इतना प्रेम करती हैं वही उससे भला क्यों प्रेमभाव नहीं रखते हैं ! ऐसे में उसके मन में ख्याल आता कि “मैं जीकर क्या करू ? “मगर शुभम जो सात साल का बेटा हैं ,उसकी याद आते ही वह फिर जीवन संघर्ष में सब कुछ भुलाकर सक्रीय हो उठती हैं l मगर अनुष्का के मन में दबी भावना का क्या करे ,नाचाहते हुए भी अक्सर उभर आती हैं l जिसके कारण मयंक और अनुष्का में तकरार शुरू हो जाता और पिस्ता हैं तो उनके सात वर्षीय बेटा शुभम ………….l एकदूसरे को अगाध प्यार करने वाले मयंक और अनुष्का को आखिर क्या हो गया था ? जो भी देखता दंग रह जाता था l क्या इतने प्यार करने वालों में विचारों का बेमेल भी हो सकता हैं ?इसका क्या कारण होगा?क्या यह सिर्फ स्त्री -पुरुष का इगो(अहम् )हैं या और कुछ ?मयंक के तानो ने अनुष्का के मस्तिष्क पर किसी वज्रपात से कम प्रहार नहीं करता l परन्तु कहते हैं न सहन शक्ति के सामने पीड़ा भी हार जाती हैं l एकदिन अनुष्का ने सोचा और अब ऐसे नहीं इस हालत से उबरना होगा उसे l मगर कैसे ?अचानक उसे याद आया क्यों न फिर से कोशिश किया जाए इस रिश्ते को संजोने l अपने बेटे की खातिर l अनुष्का ने सबसे पहले अपनी कमजोरियां तलाशनी शुरू कर दिया और मयंक के साथ बिताये उन सुखद क्षणों याद करना शुरू कर दिया l अनुष्का ने स्वयं को बदलने की कोशिश क़ी और परिणाम यह हुआ कि अब मयंक के पास लड़ने के लिए कोई कारण बचा नहीं था l क्योंकि मूक बनना अब अनुष्का ने सीख लिया था l धीरे-धीरे मयंक में भी बदलाव आने लगा l अनुष्का की कोशिश ने आखिर रंग लाई और इस तरह एकबार फिर अनुष्का और मयंक के जीवन में नई शुरुआत हुई l अनुष्का के जीवन में सकारात्मक सोच ने जैसे जादू कर दिया था l शादी की दसवीं सालगिरह पर जब पुरे जोश के साथ मयंक अनुष्का के साथ मिलकर केक काट रहे थे तो अनुष्का के मष्तिष्क पर यही सोच उभर कर सामने आ रही थी कि सच में पति-पत्नी का यह कैसा अजीब रिश्ता हैं ? जो पल में बिगडती हैं और पल में ही संभलती भी हैं !!!!!!!!!!!!
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