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मौनता (कविता) – contest

मेरी कहानियां
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मौनता (कविता)

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मेरी मौनता पर
तुम मुझे मत आंको
कि मैं कमजोर पड़ गई हूँ
क्योंकि
मेरे ह्रदय के अंदर
उबलते-खौलते हाहाकार करते ‘
तूफ़ान को शांत करने का
यह मेरा
एकमात्र अस्त्र हैं l
मेरी मौनता को तुम
कभी नहीं समझ पाओगे
इस युद्ध को,
अंजाम देने के लिए
मेरे अंदर का द्वंद
नजाने कितनी बार
लहुलुहान हो उठते हैं l
हाँ मेरी मौनता पर
तुम कभी नहीं सुन पाओगे
मेरे भीतर की वह चीखे
देख नहीं सकोगे
वह अंगार बनी आँखें,
मेरे अंदर का वह रौद्र रूप !
क्योंकि प्रत्यक्ष में मैंने अब
मौनता पर
विजय हासिल कर लिया हैं l

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