जे जे की ब्लॉगर निशा जी से जब हुई थी मेरी पहली मुलाक़ात (संस्मरण)-contest
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पिछले साल १ दिसम्बर’२०१३ में पंजाब कला साहित्य अकादमी द्वारा “असम गौरव ” सम्मान के लिए आमंत्रण पाकर मैं जालंधर के लिए निकल पड़ी l जालंधर शहर मुझे हमेशा से ही आकर्षित करती रही हैं l इस शहर में मैंने २ साल बिताया था जब मेरे पतिदेव की यहाँ पोस्टिंग हुई थी l उसी शहर में मुझे सम्मान के लिए आमंत्रित किया गया था l मैं सकुशल अपनी यात्रा पर निकल पड़ी l इससे पूर्व मेरी और निशा जी , दिव्या और अलका जी कि बाते फोन पर होती रही l क्योंकि लौटते समय हमने हरद्वार में गंगा स्नान करके लौटने का मन बनाया था l हरद्वार वो सेंटर था जहाँ से मैं दिव्या और निशा जी और अलका जी से आसानी से मिल सकती थी l उनदिनों अलका जी मसूरी आई हुई थी l सम्भावना पूरी थी कि हमारी मुलाकात होगी l परन्तु हम चारों का मिलन सम्भव नहीं हो सका l यात्रा में कुछ फेरबदल के कारण मैं चाहकर भी दिव्या और अलका जी से मिल न सकी l हरद्वार आकर गंगा स्नान कर मेरी सहेली डॉ. मेनका अधिकारी से मिलते हुए मुजफ्फर नगर कि और चल पड़ी l फोन पर बराबर मेरी निशा जी से बाते होती रही ….. पर मैं उस दिन सीधे शुक्रताल की और निकल गई और एक बार फिर निशा जी से मिलना पोस्ट पोन हो गया l तीसरे दिन तय हुआ दिल्ली जाने से पहले हम निशा जी से अवश्य मिलेंगे , ईश्वर से प्रार्थना की और वहा से निकल पड़े ,अंतत: मैं निशा जी के घर के सामने थी l मुझे यकीं ही नहीं हो रहा था कि ये वही निशा जी हैं जिनके साथ मैं तीन सालों से मात्र जे जे , फेसबुक और फोन के जरिये मिलती रही थी l वह बिलकुल वैसी लगी जैसे मेरी जेहन में थी , ममता से भरी , सहृदयी , अपनापन और सदा बहार मुस्कान लिए मेरे स्वागतार्थ खड़ी थी l हमने घर में प्रवेश करते हुए निशा जी को जब बताया कि मेरे पास बहुत ही कम समय हैं क्योंकि दिल्ली के लिए मुझे ट्रैन से निकलना हैं ऊपर से उस दिन दिल्ली में भोट था इसलिए गाड़ी मिलना मुश्किल था l समय कम सुनकर निशा जी थोडा उदास हो गई पर तुरंत ही वह चाय बनाने किचन में घुस गई l हे भगवान् उन्होंने क्या-क्या तैयारिया कर रखी थी l मैं भी समय गवाए वगैरह उनसे बाते करती रही, छाया चित्र लेती रही l बहुत कम समय में भी हम एक दूसरे से रुबरु होकर बहुत खुश थे l जेजे की यादे ताजा किये और जेजे का शुक्रगुजार हुए जिसके कारन हमारी दोस्ती हुई थी l सच इन तीन सालों में हमें बहुत ऐसे दोस्त मिले जो लिखते तो अच्छे हैं ही दिल के भी अच्छे हैं l आज के समय में जहां लोगों का समय नहीं हैं वही निशा जी का स्नेह पाकर मैं गदगद हो गई l समय कम होने का खला जरुर मगर जो स्नेह अपनापन मैंने पाया उसके लिए मैं सदैव ईश्वर से शुक्रगुजार रहूंगी और निशा जी का भी l मेरे जीवन का पहला ब्लॉगर मित्र निशा जी रही जिनसे मेरी मुलाकात हुई थी l समय हो गया था निशा जी से इजाजत लेने की……..मन तो बिलकुल भी नहीं था परन्तु जाना जरुरी था l अनिच्छा सहित मुझे इजाजत लेकर अपने गंतव्य की ओर निकलना पड़ा …… परन्तु उनसे हुई मुलाकात का आनंद आज भी मेरे जेहन में सजीव हैं l
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