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ऊर्जा (कविता)

मेरी कहानियां
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ऊर्जा (कविता)

मेरे पीछे
एक खिड़की हैं
जिसके पास
हैं एक कुर्सी
और
उसके सामने की
मेज पर
फैले हैं कुछ
कागज के पन्ने
उन पन्नो में
मैं
कोशिश करती हूँ
कुछ शब्दों को जोड़ने
भावो को दर्शाने
मेरे पीछे की
उस खिड़की से
अक्सर
आती हैं अंजुली भर
सूर्य की किरणे
और
मंद-मंद बहती
शीतल हवाओं के झोके
जो
मुझे ऊर्जा देती हैं
दिनभर के
थकान के बाद
ऐसा लगता हैं मुझे तब
जैसे होता है
माँ की उष्ण बाहों में
समाने के बाद l
***********
Rita Singh “Sarjana”

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